सुप्रीम कोर्ट ने सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट मामले में विभव कुमार को जमानत दे दी है. विभव कुमार को कुछ शर्तों के साथ सुप्रीम कोर्ट से ये राहत मिली है. विभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है. मामले में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. ऐसे में 51 से ज्यादा लोगों की गवाही होनी है. ट्रायल पूरा होने में समय लगेगा. विभव 100 दिनों से ज्यादा समय से हिरासत में हैं. वह जांच में बाधा उत्पन्न नहीं कर सकता जो पहले ही पूरी हो चुकी है.
पुलिस ने गवाहों को प्रभावित करने की आशंका जताई है. अगर गवाहों को प्रभावित किया जाता है तो जमानत की रियायत को वापस लिया जा सकता है. हम इस बात पर सुनवाई करने के लिए इच्छुक नहीं हैं कि प्रथम दृष्टया अपराध बनता है या नहीं ? यह ट्रायल कोर्ट का विशेष अधिकार क्षेत्र है.
18 मई को गिरफ्तार हुए थे विभव कुमार
दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव रहे विभव कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था. विभव कुमार पर AAP राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने CM आवास में मारपीट का आरोप लगाया था. 12 जुलाई को हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि रिकॉर्ड दिखाते हैं कि कोर्ट में 51 गवाहों के बयान होने हैं. मुकदमे में समय लगेगा. जज ने कहा, एडिशनल सॉलिसीटर जनरल का कहना है कि आरोपी अहम गवाहों को प्रभावित कर सकता है. उनका कहना है कि उन गवाहों के बयान होने तक जमानत न दी जाए. हम ऐसी शर्त लगाना चाहते हैं, जिससे वह ऐसा न कर सके. अगर आरोपी गवाहों पर असर डालने की कोशिश करेगा, तो इसे जमानत का दुरुपयोग माना जाएगा.
इन शर्तों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
– आरोपी CM के घर और ऑफिस न जाए.
– अहम गवाहों के बयान जल्दी दर्ज हों.
– आरोपी और उससे जुड़े लोग केस पर टिप्पणी न करें.
– आरोपी को कोई ऐसा पद न दिया जाए जिससे वह केस को प्रभावित कर सके.
– विभव को CM का निजी सचिव या ऐसा कोई पद न दिया जाए.
– जिस पार्टी (AAP) से आरोपी जुड़ा है, उसके नेता इस केस पर टिप्पणी न करें.
– कोर्ट (पुलिस के वकील से)- अगर आरोपी सहयोग नहीं करता तो आप आवेदन दाखिल कर सकते हैं.
– 3 महीने में अहम गवाहों के बयान निचली अदालत दर्ज करे.
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