Paris Paralympics 2024: मंजिल जिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है। इस इस शेर को पेरिस में जारी पेरिस पैरालंपिक में भाला फेंक प्रतियोगिता की F46 श्रेणी में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले भारतीय एथलीट सुंदर सिंह गुर्जर ने चरित्रार्थ किया है।
राजस्थान के करौली के रहने वाले सुंदर सिंह गुर्जर ने साल 2016 में एक दुर्घटना में अपना बायां हाथ खो दिया था। इस घटना ने सुंदर को अंदर तक तोड़ दिया था। इस दौरान उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने के बारे में भी सोचा। लेकिन, पैरा स्पोर्ट्स ने उन्हें जीने की एक नई राह दिखाई। सुंदर ने भी हार नहीं मानी और कसम खाई की जब तक कुछ बड़ा नहीं करेंगे घर नहीं लौटेंगे। इसके बाद पहली बार पैरा वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद वो अपने गांव लौटे।
सुंदर के नाम दर्ज है वर्ल्ड रिकॉर्ड
बता दें कि 2016 में सुंदर गुर्जर ने जेवलिन थ्रो से अपने खेल की शुरुआत की थी और उसके बाद से उन्होंने इस खेल में कई मेडल जीते. वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पहला गोल्ड मेडल जीता था. 2018 में सुंदर गुर्जर ने एशियन गेम्स में एक सिल्वर और एक कांस्य पदक जीता था. 2019 की वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीता था. फिर 2021 में चीन पैरा एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीता और पिछले साल एशियाई पैरा गेम्स में 68.60 मीटर भाला फेंककर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया और गोल्ड मेडल जीता था. इसके अलावा टोक्यो 2020 में 64.01 मीटर के प्रयास के साथ ब्रॉन्ज भी अपने नाम कर चुके हैं।
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