सतीश दुबे, डबरा। जमाना बदल गया है, सोच बदल गई है वक्त भी बदल गया है लेकिन लड़की होने पर उसे मार देना आज भी कायम है। मध्य प्रदेश में एक बार फिर एक मां की ममता बेटे होने की चाह में हार गई। डबरा में कलयुगी मां की क्रूरता सामने आई है। वरगवा गांव में एक नवजात बेटी को झाड़ियों में फेंक दिया गया, जहां उसकी हालत गंभीर हो गई।
घटना गुरुवार सुबह 5 बजे की है, जब नाथूराम आदिवासी शौच के लिए गए थे। उन्होंने झाड़ियों में नवजात बच्ची को देखा। जब उन्होंने उसे उठाया, तो वह जिंदा थी। नाथूराम तुरंत उसे अपने घर लेकर आए, जहां उनकी पत्नी और अन्य ग्रामीणों ने नवजात की सफाई की और उसे दूध पिलाया। धीरे-धीरे गांव में भीड़ इकट्ठा हो गई।
नाथूराम और अन्य ग्रामीणों ने तुरंत बच्ची को इलाज के लिए डबरा सिविल अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया। लेकिन दुर्भाग्यवश, अस्पताल पहुंचने से पहले ही नवजात ने रास्ते में दम तोड़ दिया। इस घटना की सूचना पिछोर थाना पुलिस को दी गई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर उस मां ने अपनी नवजात बेटी को फेंकने का यह अमानवीय कदम क्यों उठाया।
ग्रामीणों में आक्रोश
घटना के बाद ग्रामीणों में काफी आक्रोश है और वे इस निर्दयी मां को जमकर कोस रहे हैं। यह डबरा में इस तरह की कोई पहली घटना नहीं है। अगस्त से लेकर सितंबर के बीच यह तीसरी बार है जब डबरा क्षेत्र में नवजात बेटियों को इस प्रकार कूड़े या झाड़ियों में फेंक दिया गया है। पहले रामगढ़ नाला और फिर मीट मार्केट रेलवे ट्रैक के पास कचरे में नवजात बेटियों के शव पाए गए थे।
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