विक्रम मिश्र, लखनऊ. लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेलने वाली पार्टी बहुजन समाज पार्टी को अब कांग्रेस से खतरा महसूस होने लगा है. बसपा के मूल वोटर्स पर जिस तरह से कांग्रेस डोरे डाल रही है उससे बसपा सतर्क हो गई है. बसपा नेताओ ने इसको लेकर रणिनीति बनानी भी शुरू कर दी है. जिससे कि 4 दशकों से जिस कैडर पर बसपा की पकड़ थी वो छिटक न पाए.
कांग्रेस के दलित प्रेम से बसपा कमजोर तो सपा पर कांग्रेस भारी हो जाएगी. इससे उत्तर प्रदेश में फिर से वो अपने पुराने कैडर को खड़ा करने में कामयाब हो सकेगी. बसपा के अंदरूनी सूत्रों की माने तो मायावती ने आरक्षण में उपवर्गीकरण के मुद्दे पर कांग्रेस के समर्थन करने वाले नेताओं को जल्दी ही पार्टी बाहर का रास्ता दिखा सकती है.
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लोकसभा में करारी हार के बाद से पार्टी नेताओ को बसपा की वापसी अब धूमिल सी दिखती है. यही वजह है कि बसपा के नेता अपने सियासी करियर को मजबूत रखने के लिए कांग्रेस के सम्पर्क में हो सकते हैं. अभी हाल ही में बसपा के कुछ बड़े नेताओं ने बस्ती और चित्रकूट जिलों में कांग्रेस की सदस्यता ली है.
बसपा के दिग्गज आज कांग्रेस में
मायावती के करीबी और पूर्वमंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, नकुल दुबे तमाम कई नेताओं की फेहरिस्त है जो आज कांग्रेस के साथ उनकी रणनीति का अहम हिस्सा हैं. इसीलिए मायावती ने भी पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए युवा और दलित वोटर्स के बीच अपनी पैठ बढ़ा रही है.
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