Hartalika Teej Vrat Katha : भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत विशेष धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस पावन अवसर पर, महिलाएं न केवल व्रत रख रही हैं बल्कि अपने घरों में हरियाली तीज की तरह पूजा अर्चना की तैयारी भी कर रही हैं. हरतालिका तीज पर महिलाएं पूरे दिन उपवासी रहकर, हरतालिका तीज का यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को पति के रूप में पाने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है.
भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. पूजा के दौरान हरतालिका तीज व्रत कथा का पाठ विशेष महत्व रखता है. कथा के बिना व्रत को अधूरा माना जाता है और इसका पूरा फल प्राप्त नहीं होता है. महिलाएं इस दिन विशेष ध्यान रखते हुए व्रत का पालन करती हैं. तो आइये जानते है इस दिन की पौराणिक कथा के बारे में
हरतालिका तीज का पौराणिक कथा और महत्व (Hartalika Teej Vrat Katha)
पौराणिक मान्यता के अनुसार, कैलाश पर्वत पर भगवान शिव जी और माता पार्वती नंदी और अपने गणों के साथ बैठे थे. तभी माता पारवती ने बड़ी ही जिज्ञासा से भगवान शिव जी से पूछा कि- प्रभु आपको मैं अपने पति रूप में पाकर धन्य हो गयी हूँ पर मैं जानना चाहती हूँ मैंने ऐसे क्या पुण्य कार्य किये हैं जो आप मुझे पति रूप में मिले ? इस बात पर प्रभु मंद मंद मुस्काये और उन्होंने माँ पार्वती से कहा कि- देवी आपने बचपन से ही हिमालय पर्वत के गंगा तट पर कठोर तपस्या करनी शुरू की दी थी. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरतालिका तीज का व्रत रखा. इस कठोर तपस्या में अन्न और जल का भी त्याग कर दिया था. भोजन के लिए मात्र सूखे पत्ते खाया करती थीं.
पर आपके पिता आपको इस अवस्था में देखकर बहुत दुखी थे. इसी बीच आपकी तपस्या देख देवऋषि नारद आपके यहाँ पधारे.देवऋषि नारद आपके विवाह के लिए भगवान विष्णु का प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास आए. आपके माता पिता को देवऋषि नारद का यह प्रस्ताव बहुत पसंद आया. इस प्रस्ताव के बारे में उन्होंने अपनी पुत्री को सुनाया. इस बात से आप बहुत दुखी हुईं, क्योंकि आप मन ही मन में मुझे यानि भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं. और फिर आपने भगवान विष्णु से विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया.
आपने अपनी सखियों को अपनी समस्या बताई और कहा कि मैंने सिर्फ भोलेनाथ को मन ही मन अपना पति मान चुकी हैं और सिर्फ उन्हें ही पति के रूप में स्वीकार करुँगी. यह सुनकर उनकी सखियों ने आपको वन में जाकर छिपने और तपस्या करने की सलाह दी. और फिर आप घने वन में जाकर एक गुफा में भगवान शिव की तपस्या करने लगीं. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में आपने मिट्टी से शिवलिंग बनाया और पूरे विधि विधान से मेरी पूजा अर्चना की और रातभर जागरण किया. आपके इस कठोर तप से प्रसन्न होकर मैंने आपको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया.
तो जिस तरह कठोर तपस्या कर के माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया, उसी तरह से हरतालिका तीज का व्रत करने वाली सभी महिलाओं का सुहाग अखंड बना रहें और उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहें. मान्यता है कि जो कोई भी कन्या इस व्रत को पूरे विधि-विधान और श्रद्धापूर्वक करती है, उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती से अखंड सुहाग की प्रार्थना करनी चाहिए.
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