वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि 55 वर्ष की उम्र पार करने वाले कर्मचारी-अधिकारियों का तबादला अनुसूचित व नक्सल प्रभावित इलाकों में नहीं किया जाएगा। याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन के आदेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को उनके पूर्व के जिले में पदस्थ करने का आदेश जारी किया है। मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की सिंगल बेंच में हुई।
दरअसल, महासमुंद की कविता चिंचोलकर वित्त विभाग में लेखाधिकारी के पद पर पदस्थ थीं। 16 अगस्त 2024 को उनका स्थानांतरण महासमुंद से जिला कांकेर कर दिया गया। कविता चिंचोलकर ने राज्य शासन के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता की उम्र वर्तमान में 61 वर्ष और 7 महीने है और 31 जनवरी 2025 को वे 62 वर्ष की आयु पूर्ण कर सेवानिवृत्त हो जाएंगी। यदि याचिकाकर्ता का स्थानांतरण जिला कांकेर में होता है, और वह वहां ज्वाइनिंग देती है तो उन्हें अपनी उम्र में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, यदि वह वहां ड्यूटी करती है तो रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन, ग्रेच्यूटी, अवकाश नगदीकरण और अन्य राशि प्राप्त करने में देरी होगी।
सामान्य प्रशासन विभाग रायपुर की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिला शासकीय कर्मचारियों को अनुसूचित व नक्सल प्रभावित जिलों में पदस्थ नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद, याचिकाकर्ता कविता चिंचोलकर का कांकेर में पदस्थ करने के लिए विभागीय अफसरों ने शासन के निर्देशों का उल्लंघन किया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद तबादला आदेश निरस्त कर याचिकाकर्ता को महासमुंद में पदस्थ करने का आदेश जारी किया है।
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