लखनऊ. उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. इसे 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है. उपचुनाव की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने अभी नहीं किया है, लेकिन इसके पहले ही राजनीतिक दल इन सीटों पर रणनीति बनाने में लगे हुए हैं. उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे ज्यादा पसीना बहा रहे हैं. इस उपचुनाव की कमान सीएम योगी ने अपने हाथ में ले रखी है. सीएम इन सभी सीटों का दौरा कर चुके हैं. सीएम अब तक पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर चुके हैं.
2024 लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस के गठबंधन ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया. सपा-कांग्रेस गठबंधन ने यूपी की 80 में से 43 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमा लिया. जिसमें से सपा के पास 37 सीट हैं. वहीं कांग्रेस के खाते में 6 सीटें आई हैं. भाजपा इससे परेशान है. भाजपा यूपी में अपना खोया हुआ जनाधार वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. भाजपा रोज नए कार्यक्रम बना रही है. साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इन उपचुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है. इसके लिए भाजपा और इंडिया गठबंधन तगड़ी तैयारी में जुटे हैं. भाजपा और इंडिया गठबंधन ने अपने चुनाव प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है. खास बात यह है कि इन उपचुनाव को बसपा त्रिकोणीय बना रही है. बसपा यूपी में अपनी सरकार जाने के बाद पहली बार उपचुनाव लड़ रही है. बसपा अपने खिसकते जनाधार से परेशान है और अपना जनाधार बढ़ाने की जुगत भिड़ा रही है.
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पीडीए से परेशान भाजपा
इस उपचुनाव में भी भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती सपा और कांग्रेस का गठबंधन ही होगा. दरअसल, सपा मुखिया अखिलेश यादव का पीडीए फार्मूला (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) काफी कारगर साबित होता जा रहा है. अखिलेश यादव इन समुदायों के मुद्दों को लेकर लगातार योगी सरकार पर हमलावर हैं. हाल में बदमाश मंगेश यादव की पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत पर जिस तरह से अखिलेश यादव मुखर हुए और बुलडोजर को लेकर उनकी सीएम योगी से जुबानी जंग हुई, वह इसी पीडीए को और मजबूत बनाने की कोशिश थी. इधर सीएम राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के सहारे अखिलेश यादव पर हमले कर रहे हैं. सीएम सपा को गुंडों की पार्टी बताने में लगे हुए हैं.
राष्ट्रवाद, रोजगार और विकास के सहारे भाजपा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब तक मिल्कीपुर विधानसभा और कटेहरी विधानसभा का तीन-चार बार और खैर, करहल, सीसामऊ, फूलपुर, मीरापुर और कुंदरकी विधानसभा का एक-एक बार दौरा कर लिया है. गाजियाबाद और मझवां विधानसभा में सीएम अभी तक नहीं गए हैं. भाजपा यह उपचुनाव राष्ट्रवाद, रोजगार और विकास के मुद्दे पर लड़ने वाली है. सीएम ने इन 10 विधानसभा सीटों के लिए 30 मंत्रियों की टीम बनाई है. सीएम इस टीम से हर हफ्ते फीडबैक लेते हैं. सीएम ने उपचुनाव वाले जिन जिलों का दौरा किया है उनमें उन्होंने पांच हजार करोड़ की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया है. सीएम अपने दौरों के दौरान जनसभाओं में अयोध्या, कन्नौज और बांग्लादेश की घटनाओं का जिक्र करते हैं. अयोध्या और कन्नौज में हुए बलात्कार में सपा समर्थक ही आरोपी है तो वहीं बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा सीएम उठाते हैं. इस तरह सीएम हिंदुत्व का मुद्दा उठा रहे हैं और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को हवा दे रहे हैं. वहीं युवाओं को आकर्षित करने के लिए सीएम लगातार नियुक्ति प्रमाण पत्र बांट रहे हैं. 10 में से आठ विधानसभा क्षेत्रों में अब तक 22 हजार से ज्यादा युवाओं को नियुक्ति प्रमाण पत्र मिल चुका है. इसके अलावा छात्रों को टैबलेट और स्मार्टफोन भी दिए जा रहे हैं. ये पहली बार मतदान करने वाले युवाओं को लुभाने की कोशिश मानी जा रही है.
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ये है उपचुनाव होने की वजह
उत्तर प्रदेश की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें अयोध्या जिले की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, कानपुर नगर की सीसामऊ, मैनपुरी की करहल, अलीगढ़ की खैर, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, प्रयागराज की फूलपुर, मुरादाबाद की कुंदरकी और भदोही जिले की मझवां विधानसभा सीट शामिल है. इनमें से नौ सीटों पर चुनाव विधायकों के सांसद चुने जाने और एक सीट सीसामऊ में सपा विधायक को सजा सुनाए जाने से उपचुनाव कराया जाएगा. सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी सीट सपा के पास थी. वहीं, फूलपुर, गाजियाबाद और खैर सीट भाजपा के पास थी. मझवां भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी और मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के पास थी.
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