राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्यप्रदेश में अपराध का ग्राफ कम होने की सरकार द्वारा जारी आंकड़े पर सियासत शुरू हो गई है। सराकर के आंकड़े पर विपक्ष ने सवाल उठाए है वहीं बीजेपी ने पलटवार किया है। आंकड़े को लेकर प्रदेश में सियासत जारी है। कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेन्द्र पटेल ने कहा कि- ऐसा कौन कह रहा है। ये NCRB के आंकड़े नहीं हैं, ये SCRB के आंकड़े हैं प्रदेश सरकार ने आंकड़ों की बाजीगरी की है। कई मामलों के प्रकरण दर्ज ही नहीं हो रहे, वैसे भी लोकसभा चुनाव की आचार संहिता में कम अपराध हुए है। कांग्रेस के सवाल पर बीजेपी का पलटवार सामने आया है।

प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं

बीजेपी मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने X पर लिखा- ये अपराध की कमी के आंकड़े नहीं, ‘झूठी’ कांग्रेस के मुंह पर ‘तमाचा’ है! यूं तो प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती, परंतु जब कांग्रेस के जीतू पटवार, उमंग सिंघार, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे जिम्मेदार नेता, प्रदेश की जनता को भ्रमित और मध्यप्रदेश को बदमान करते हैं। झूठ, फरेब और पाखंड की राजनैतिक रोटियां सेंकते हैं तब ऐसे आकंड़े कांग्रेस के इन भ्रष्टाचारी नेताओं की आखों से पट्टियां हटाते हैं।

विकास की कहानी तो अभी बाकी

प्रदेश में जनहितैषी, गरीब कल्याण का उद्देश्य लेकर चलने वाली ‘मोहन’ सरकार कानून का पालन करने और करवाने के लिए जितनी सख्त है, उतनी संवेदनशील भी। यही कारण है कि लगातार अपराध से जुड़े मामले कम होते जा रहे हैं। मध्यप्रदेश को बदनाम करने का असफल प्रयास करने वाली कांग्रेस देख लें, यह तो भाजपा की मोहन सरकार का सिर्फ एक ट्रेलर है, जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने वाली भाजपा सरकार के विकास की कहानी तो अभी बाकी है।

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