भोपाल/श्योपुर। 17 सितंबर 2022 का वो दिन… जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर देश और मध्य प्रदेश ने इतिहास के पन्नों पर अपना नाम दर्ज कर लिया था। इस दिन अफ्रीका से लाए गई नमीबियाई चीतों को भारत में छोड़ा गया था। पीएम मोदी ने 70 साल बाद नामीबिया से भारत पहुंचे 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। इस दौरान इन चीतों से जुड़ी खबर ने कभी मध्य प्रदेश को खुशी दी तो कभी गम। वर्तमान में कूनो नेशनल पार्क में चीतों की संख्या 25 है, जिनमें 12 वयस्क और 13 शावक शामिल हैं।

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17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कूनो में छोड़े 8 चीते

सबसे पहले नामीबिया से भारत पहुंचे 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में पीएम मोदी ने छोड़ा। क्वारंटाइन बाड़े में 3 नर और पांच मादा चीतों को छोड़ा। इसके बाद 18 सितंबर 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। इस दौरान कई चीतों को यहां की आबोहवा पसंद आ गई। वहीं कुछ यहां की जलवायु  को ढाल नहीं सके। इन 2 सालों में कई चीतों की मौत हुई तो कुछ ने नए शावकों की जन्म देकर कूनो का कुनबा बढ़ाया। 

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देखिए कब-कब किसकी मौत हुई और किसका जन्म

17 सितंबर 2022 : नामीबिया से 8 चीते आए
18 सितंबर 2023 : दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते आए
26 मार्च 2023 :  को साधा की किडनी इंफेक्शन से मौत
27 मार्च 2023 : ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया
23 अप्रैल 2023 : नर चीता उदय की दिल के दौरे से मौत
25 मई 2023 : ज्वाला के दो और शावकों की मौत
11 जुलाई 2023 : आपसी संघर्ष में मेल चीता तेजस की मौत
14 जुलाई 2023 : आपसी संघर्ष में मेल चीता सरजू की मौत
02 अगस्त 2023 : इंफेक्शन से मादा चीता धात्री की मौत
03 जनवरी 2024 : आशा ने 3 शावकों को जन्म दिया
16 जनवरी 2024 : नर चीता शौर्य की मौत
22 जनवरी 2024 : ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया
10 मार्च 2024 : चीता गामिनी ने 6 शावकों को जन्म दिया
04 जून 2024 : मादा चीता गामिनी का शावक मृत मिला
05 अगस्त 2024 : मादा चीता गामिनी के एक और शावक की मौत
27 अगस्त 2024 : नामीबिया से लाए गए चीते पवन की मौत

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा- आगे और भी कई मील के पत्थर हैं!

चीतों के 2 साल पूरे होने पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “दो साल पहले, हमने लगभग 70 वर्षों के बाद भारत में चीतों को फिर से लाने के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा शुरू की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित यह परियोजना, वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी प्रयास है, जो खोई हुई वन्यजीव आबादी और पारिस्थितिकी तंत्र को सफलतापूर्वक बहाल करने की आशा का प्रतीक है। यह एक आसान रास्ता नहीं था। आवास समायोजन से लेकर जंगल में शावकों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने तक, कई चुनौतियों पर काबू पाया गया।”

आगे और भी कई मील के पत्थर

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने आगे लिखा- आज, जब दुनिया इन चीता शावकों को उनके प्राकृतिक आवास में पनपते हुए देख रही है, तो हम न केवल उनके जीवित रहने का जश्न मनाते हैं, बल्कि इन विशाल प्रयासों में शामिल सभी लोगों के लचीलेपन और समर्पण का भी जश्न मनाते हैं। यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बहाल करने की शुरुआत है। आगे और भी कई मील के पत्थर हैं। 

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