हेमंत शर्मा, इंदौर। शहर में आज शाम 6 बजे से झांकियों का भव्य प्रदर्शन होने जा रहा है, जिसमें 25 झांकियां शहर की सड़कों पर निकलेंगी। इस आयोजन की खास बात यह है कि झांकी निकालने की परंपरा 101 साल पुरानी है, जिसकी शुरुआत प्रसिद्ध उद्योगपति सेठ हुकुमचंद ने की थी। सेठ हुकुमचंद ने न केवल इंदौर में मिल उद्योग को खड़ा किया, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों को भी एक नई दिशा दी, जिनमें झांकी निकालने की परंपरा प्रमुख थी।

झांकियों की शुरुआत और हुकुमचंद की विरासत

हुकुमचंद मिल की स्थापना के साथ ही सेठ हुकुमचंद ने झांकियों का आयोजन शुरू किया था, जो धीरे-धीरे इंदौर की सांस्कृतिक पहचान बन गई। इस परंपरा के तहत हर साल मिलों के मजदूर और स्थानीय लोग मिलकर भव्य झांकियों का आयोजन करते हैं। आज हुकुमचंद मिल को 101 साल पूरे हो गए हैं, और इस ऐतिहासिक धरोहर को आज भी मिल मजदूर और स्थानीय संस्थाएं जीवित रखे हुए हैं। मालवा और राजकुमार मिल की महत्वपूर्ण भूमिका इंदौर की मालवा मिल को इस साल 90 साल पूरे हो गए, जबकि राजकुमार मिल को 89 साल का गौरव प्राप्त हुआ है। इन मिलों ने न केवल इंदौर की औद्योगिक क्रांति में योगदान दिया, बल्कि यहां के मजदूरों और संस्थाओं ने झांकी निकालने की इस परंपरा को बरकरार रखा। हर साल इन मिलों से जुड़े लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और अपनी झांकियों को तैयार करते हैं, जो शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनती हैं।

झांकी मार्ग और सुरक्षा इंतजाम

आज शाम को निकलने वाली 25 झांकियों के लिए झांकी मार्ग पूरी तरह तैयार है। नगर निगम, आईडीए, खजराना गणेश, कल्याण मिल, हुकुमचंद, राजकुमार, मालवा, स्वदेशी मिल सहित अन्य संस्थाएं अपनी झांकियों का प्रदर्शन करेंगी। इन झांकियों को देखने के लिए लाखों लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। सुरक्षा के मद्देनजर पूरे मार्ग की निगरानी के लिए 1,000 से ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं, और पुलिस द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक

झांकियों का यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि इंदौर की सांस्कृतिक और औद्योगिक धरोहर का प्रतीक भी है। मिल मजदूरों और स्थानीय संस्थाओं द्वारा सालों से कायम की गई यह परंपरा आज भी जीवित है और हर साल इंदौर की सड़कों पर सांस्कृतिक रंग बिखेरती है। शाम 6 बजे से झांकियों का रंगारंग कार्यक्रम शुरू होगा, जिसमें विभिन्न संस्थाओं द्वारा तैयार की गई झांकियां इंदौर की सड़कों पर निकलेंगी। यह कार्यक्रम न केवल मनोरंजन का केंद्र होगा, बल्कि इंदौर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को एक बार फिर जीवंत करेगा।

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