धर्मेंद्र ओझा, भिंड। मध्यप्रदेश के भिंड जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर अटेर विधानसभा में बोरेश्वर धाम का पुराना व प्राचीन मंदिर है। ऐसी किंवदंतियां है कि यह मंदिर देवदूतों के द्वारा एक ही रात में बनाया था। इस मंदिर का निर्माण कब हुआ इसका कोई लेख भी नहीं मिलता है। मंदिर की छत एक ही पत्थर से बनी हुई है। मंदिर में विशाल शिवलिंग है। मंदिर के सामने नंदी की प्रतिमा और दो प्रवेश द्वार हैं।
भभूत लगाने से मस्सा होते खत्म
बोरेश्वर मंदिर के संत सतीश महाराज ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों के शरीर या चेहरे पर मस्से होते हैं वो यहां की भभूत लगाने से ठीक हो जाते हैं। गांव के सरपंच संजय दैपुरिया ने बताया कि लोग मनोकामना पूर्ण होने के लिए चावल चढ़ाते हैं। खास बात यह है कि जो लोग चावल चढ़ाना शुरू करते हैं उन्हें अगली साल दुगने अनुपात में चावल चढ़ाना पड़ता है। यह सिलसिला मनोकामना पूर्ण होने तक जारी रहता है। सरपंच ने बताया कि मंदिर में विशाल शिवलिंग है और शिवलिंग पर कितनी भी चावल चढ़ाए जाएं मगर उसे कोई ढंक नहीं पाया।
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शादी की मौर विसर्जित करने आते हैं लोग
बोरेश्वर धाम मंदिर के पास पुराना तालाब स्थित है। इस तालाब में मौर विसर्जित की जाती है। ऐसी मान्यता है कि दूल्हे एवं दुल्हन के सिंर पर जो मौर लगी रहती है। शादी के बाद मौरछठ के दिन उन्हें विसर्जित करने के लिए यहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं। इस बार 9 सितंबर को मौरछठ और इसी दिन मंदिर परिसर में विशाल मेला लगता है। यह भी कहा जाता है कि मौरछठ के दिन मंदिर के पीछे नाग नागिन का जोड़ा दिखाई देता है। मोर छठ मेला को लेकर प्रशासन की तैयारी पूरी हो गई है। ट्रैफिक, पार्किंग, सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों की तैयारी है। सुरक्षा को लेकर पुलिस फोर्स की भी तैनाती की जाएगी।
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