विक्रम मिश्र, लखनऊ: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का आक्रामक रवैया भाजपा और आरएसएस दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया था। इसके परिणामस्वरूप, केंद्र में भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं मिल पाई। इस परिदृश्य में, आरएसएस ने यूपी भाजपा संगठन और केंद्रीय नेतृत्व को स्पष्ट शब्दों में बताया कि भाजपा पूर्वाग्रह और आंतरिक कलह के कारण चुनावी मैदान में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।
जाति गणना पर सहमति बनी
आरएसएस ने भाजपा को जाति गणना पर एक ठोस राय तैयार करने और इसे मूर्त रूप देने की सलाह दी है, जिससे विपक्षी दलों के इस मुद्दे पर पूर्णविराम लगाया जा सके। आरएसएस ने यह भी सिफारिश की है कि जनगणना के दौरान आर्थिक, सामाजिक और अन्य स्थितियों के आधार पर जातियों का उत्थान किया जाए और सरकारी योजनाओं को उन जातियों तक पहुंचाया जाए जहां उत्थान की कमी है।
मनमुटाव और कलह को सतह पर आने से रोकें
भाजपा नेतृत्व को आरएसएस ने पूर्वाग्रह और अंदरूनी कलह से बचने के निर्देश दिए है। सामान्य कार्यकर्ताओ को भी सरकार अपनी योजनाओं से जोड़े और उसकी प्रगति रिपोर्ट तैयार करे।
पूर्व में भी आरएसएस ने अपनी बैठक में कार्यकर्ताओं को निगमो में खाली पड़े रिक्त स्थानों में भरे जाने की संस्तुति कर चुका है। जिसके एवज में उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा आयोग और उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोगों में सामान्य कार्यकर्ताओ को स्थान दिया गया है।
उपचुनाव के लिए गुरुमंत्र देकर आरएसएस ने दिखाया जीत का रस्ता
उत्तर प्रदेश में अगले महीने होने वाले उपचुनाव के लिए आरएसएस ने भाजपा को जीत की रणनीति दी है। इसमें विपक्ष के मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई करने और आरक्षण और संविधान सुरक्षा के मुद्दों पर नेताओं की टीम गठित कर गांव-गांव भेजने के निर्देश शामिल हैं। इस रणनीति से भाजपा की योजनाओं को अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचाने का लक्ष्य है।
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