रायपुर। गणेश विसर्जन की झांकी में बजने वाले डीजे के शोर पर प्रशासन की सख्ती बढ़ गई है। हाईकोर्ट के फैसले को आधार बनाकर प्रशासन ने झांकी में शोर शराबे पर रोक के लिए कड़े फैसले लिये हैं। गणेश समितियों की ओर से मांगी गई डीजे की अनुमति को प्रशासन ने खारिज करते हुए दो टूक कह दिया है कि नियमों का उल्लंघन हुआ तो सख्ती बरती जाएगी। प्रशासन के रवैये के बीच अब गणेश समितियों ने बगैर डीजे गणेश विसर्जन की तैयारी की है।
रायपुर की गणेश समितियों का कहना है कि झांकी में डीजे की अनुमति प्रशासन नहीं दे रहा है। रायपुर शहर में गणेश उत्सव झांकी की सालों पुरानी परंपरा है। झांकी निकालने वाले कुछ समितियों के सदस्यों ने कहा कि हमारी मांग है कि झांकी में डीजे और धुमाल बजाने की अनुमति दे। इसको लेकर हमारी डिप्टी सीएम विजय शर्मा, सांसद बृजमोहन अग्रवाल और विधायक पुरंदर मिश्रा सहित सभी जनप्रतिनिधियों से बातचीत जारी है। हमारी मांग है कि कम डिसमिल में ही सही लेकिन डीजे बजाने की अनुमति दें। यदि अनुमति नहीं दी जाती है तो झांकी नहीं निकाली जाएगी।
रायपुर धुमाल संघ के अध्यक्ष गोतम महांनद ने कहा कि इस बार झांकी और गणेश विसर्जन में एक भी डीजे या ढोलताशा नहीं बजेगा। जब तक प्रशासन के तरफ लिखित अनुमति नहीं मिलती है तब तक एक भी हम काम नहीं करेंगे। सभी हड़ताल पर रहेंगे। गौतम महानंद ने कहा की सभी डीजे और धुमाल का गणेश चतुर्थी में ही मुख्य काम रहता है। ऐसे में हमारे कामों को बंद कराया गया है।
वहीं रायपुर एडीएम देवेंद्र पटेल ने कहा की रायपुर में झांकी की हर बार की तरह इस बार भी पूरी तैयारियां की गई है। गणेश समितियों की तरफ से फिलहाल ऐसा कोई मैसेज नहीं आया है की झांकी नहीं निकालेंगे। अगर कोई ऐसी बात होती है तो आगे देखेंगे। लेकिन प्रशासनिक स्तर में रायपुर में झांकी को लेकर पूरी तैयारिया है। हाईकोर्ट के निर्णय का कड़ाई से पालन कराया जाएगा।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लखन पटले ने कहा कि गणेश झांकी उत्सव के लिए पर्याप्त तैयारी की गई है। सुरक्षा के दृष्टि से भी अतिरिक्त बल की तैनाती की गई है। झांकी निकालने वाली समितियों से बातचीत चल रही है। वरिष्ठ अधिकारियो के निर्देशन पर निर्णय लिया जाएगा।
राजनांदगांव में नहीं निकलेगी झांकी
इधर राजनांदगांव में बीते 86 वर्ष से अधिक साल से गणेश विसर्जन की पूर्व रात्रि में झांकी निकालने की परंपरा चली आ रही है। अपनी परंपरा के अनुरूप राजनांदगांव शहर में मंगलवार 17 सितंबर को गणेश विर्सजन झांकी निकाली जाएगी। कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने गणेश विसर्जन के मद्देनजर गणेशोत्सव समिति और शहर के विभिन्न गणेश पंडाल से निकलने वाली झांकी के सदस्य, डीजे व साउंड सिस्टम संचालकों की कलेक्ट्रेट में बैठक ली।
जिला प्रशासन ने इस बार 55 डेसीबल से अधिक ध्वनि होने पर न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए गाड़ी की जब्ती की कार्रवाई की बात कही और झांकी निकालने वाले सभी गणेशोत्सव समिति के पदाधिकारी शपथपत्र देने के निर्देश दिए है।
राजनांदगांव झांकी समिति के सदस्य शुभम शुक्ला ने बताया कि जिला प्रशासन के साथ अलग अलग 4 दौर की बातचीत के बाद भी बैठक बेनतीजा रही है। इसलिए सभी ने एक साथ ये निर्णय लिया है कि इस बार झांकी नही निकाली जाएगी।
उन्होंने बताया कि कलेक्टर और एसपी ने बैठक ने साफ कह दिया है कि अगर झांकी डीजे साउंड सिस्टम का इस्तेमाल हुआ था कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने साफ कह दिया है कि झांकी समिति वाले कार्रवाई के लिए तैयार रहें। कार्रवाई इस दिन नहीं होगी अगले दिन होगी लेकिन होगी जरूर।
समिति सदस्य ने बताया कि प्रशासन के साथ इस बैठक में कुछ नतीजा नहीं निकल पाया है । इसके बाद समिति के सदस्यों ने आपस में एक राय स्थापित कर झांकी निकालने की बात कही लेकिन जनरेटर वालों ने मना कर दिया। क्योंकि जनरेटर वाले साउंड सिस्टम वालों का ही समर्थन कर रहे हैं। अब इस शर्त पर झांकी निकलना संभव ही नहीं है। राजनांदगांव में कुल 40 से अधिक झांकी समिति है, जिसमें से 28 समितियों ने झांकी निकालने के लिए मना कर दिया है। अन्य 12 समितियों से हम खुद निवेदन कर रहे हैं की वो झांकी न निकालें।
ऐसा रहा है झांकी का इतिहास
वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट गोकुल सोनी बताते हैं कि आज से करीब 60 से 70 साल पहले रायपुर में झांकियां बैलगाड़ियों से निकाली जाती थी। बैलगाड़ियों को केला पत्ता से सजाया जाता था। इस दौर में लाइट की व्यवस्था भी नहीं थी, मशाल का इस्तेमाल किया जाता था। रायपुर में उस समय झांकियों को पुरानी बस्ती के खोखो तालाब में विसर्जित की जाती थी। उस समय झांकियों को संख्या भी कम हुआ करती थी। उसके बाद भी बूढ़ा तालाब फिर खारुन नदी में झांकियों को विसर्जित किया जाने लगा। उस समय गड़वा बजा का इस्तेमाल किया जाता था। मांदर की थाप पर भजन करते हुए झांकियों का विसर्जन किया जाता था। जानकार बताते हैं कि उस दौरान जब झांकियां निकलती थी तो सड़क किनारे लगे होटलों के कमरों को बुक किए जाते थे ताकि लोग अपने परिवार के साथ झांकियों का आनंद ले सकें।
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