विक्रम मिश्र, लखनऊ। सियासत और इश्क में बहुत कुछ एक जैसा ही होता है. ठीक वैसा ही हाल इस समय उत्तर प्रदेश की राजनीति में देखने को मिल रहा है. उत्तर प्रदेश में आगामी उपचुनाव में 10 सीट पर चुनाव होना है. बावजूद इसके सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए अयोध्या की मिल्कीपुर सीट एक चुनौती से कम नहीं है.
सियासी मजबूरी है मिल्कीपुर!
राजनीति में अपने बयानों और कड़े तेवरों वाले फैसलों से लोहा मनवाने वाले उत्तर प्रदेश के फायरब्रांड सीएम के लिए मिल्कीपुर सीट जीतना खोया हुआ सम्मान पाने जैसा है. हालांकि, जिस तरह से लोकसभा चुनाव में अयोध्या हारने के बाद से दूसरी बार सत्ता में काबिज होने वाले भाजपा की मलानत हुई है. वो किसी से छिपी नहीं है. सदन से लेकर सड़क तक समाजवादी पार्टी के लगभग हर बयानों में अयोध्या का जिक्र होता है. जिसकी टीस मिटाने के लिए सीएम योगी ने अयोध्या की मिल्कीपुर सीट को जिताने का जिम्मा खुद ही संभाल रखा है.
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अयोध्या के अवधेश थे विधायक अब हैं सांसद
समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर से ही विधायक थे. जबकि उनके सांसद बनने के बाद से ही ये सीट रिक्त हुई थी. जिस पर सपा ने उनके पुत्र को अपना प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में मिल्कीपुर सीट को जीतकर भाजपा एक बड़ा संदेश भविष्य के लिए देने की कोशिश भी कर रही है.
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मिल्कीपुर को सरकार की तरफ से तोहफा
मिल्कीपुर विधानसभा में गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर पहुचेंगे. जहां पर वो मिल्कीपुर विधनसभा वासियों को 1 हजार करोड़ की सौगात देंगे. जिसके तहत सड़क, नाली और अन्य सुविधाओं से जुड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे. इसके साथ ही मुख्यमंत्री एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे. जिसमे वो चुनावी आंच को भांपने की कोशिश भी करेंगे.
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