विक्रम मिश्र, लखनऊ. दिल मिले पर कसक अभी बाकी है. जख्म तो भर गए निशान अभी बाकी है. ये लाइन उत्तर प्रदेश के सत्ताधारी दल के दो बड़े नेताओं पर सटीक बैठती नजर आती है. केशव प्रसाद मौर्य जो उत्तर प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ सरकार के मुखिया हैं. दोनों में वाकयुद्ध, शक्तिप्रदर्शन का मुजाहिरा लल्लूराम डॉटकॉम के पाठकों ने देखा ही होगा. जिसमें केंद्रीय नेतृत्व को भी दखल देकर जनता के सामने एक होने का संदेश देने के लिए उतरना पड़ा था. तब जाकर मामला शांत हुआ था.
लेकिन कहते हैं ना कि पुरानी शराब का नशा और दिल पर मिला तीखा जख्म निशान छोड़ ही जाता है. आज उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर दलित-पिछड़ा वर्ग के शिक्षकों का एक समूह उनसे मिलने पहुंचा था. केशव प्रसाद मौर्य ने उनसे मिलकर जल्दी ही उनकी नियुक्ति हो जाए इसके लिए कोर्ट से न्यायपूर्ण फैसले की अपील की. जहां पर केशव प्रसाद मौर्य इन दलित-पिछड़े वर्ग के शिक्षकों से मिल रहे थे, उसके पीछे जो बैकड्रॉप है उसमें स्थानीय नेताओं की कोई तस्वीर ही नहीं है. ना ही उसमें उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया और भाजपा के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ की तस्वीर है. इसके अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी तस्वीर से गायब हैं. उनके पीछे के बैकड्रॉप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की फोटो लगी हुई हैं. अब ऐसे में संगठन सरकार से बड़ा होने का दावा करने वाले केशव प्रसाद मौर्य इस तस्वीर से एक बड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.
मौर्य बन सकते हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष
मीडिया रिपोर्ट्स और सूत्रों की मानें तो यूपी में संगठन और सरकार में सामंजस्य स्थापित करने के लिए किसी एक नेता (योगी या केशव) को दिल्ली बुलाया जा सकता है. ऐसे में एक बड़ा तबका ये मानता है कि योगी को यूपी की सियासत से हटाने का मतलब होगा जैसे कल्याण सिंह को पार्टी से इस्तीफा दिलवाने के बाद भाजपा को सरकार बनाने के लिए 14 साल का बनवास झेलना पड़ा था. यानी योगी को हटाना इतना आसान नहीं है. ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य को ही राष्ट्रीय राजनीति में शामिल किया जा सकता है. हालांकि भाजपा संगठन की तरफ से लल्लूराम डॉटकॉम से हुई बातचीत में पहले ही बताया जा चुका है कि अगले महीने होने वाले उपचुनाव में आने वाले परिणाम ही यहां के नेताओ का कद निर्धारित करेंगे.
बता दें कि मिल्कीपुर और अयोध्या की जिम्मेदारी खुद सीएम योगी ने संभाल रखी है. तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी मुरादाबाद के रहने वाले हैं और वहां की कुंदरकी सीट पर उनका कद भी तय होगा.
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