वाराणसी. बुधवार को ज्ञानवापी प्रकरण में 1991 के मुकदमे में हिंदू पक्ष की ओर से एएसआई सर्वे करने की मांग पर सुनवाई पूरी कर ली गई है. हिंदू पक्ष की ओर से जोर देकर कहा गया कि बिना खुदाई के सर्वे पूरा नहीं हो पाएगा. पांच वादनी महिलाओं के केस में की गई एएसआई सर्वे की खामियों को भी हिन्दू पक्ष की ओर से उजागर किया गया.
हिन्दू पक्ष ने एएसआई को खुदाई के माध्यम से भी सर्वे करने की मांग न्यायालय से आदेश निर्गत करने का निवेदन किया है. अब 18 सितंबर 2024 को मामले में अगली सुनवाई पर मुस्लिम पक्ष न्यायालय के सामने अपना पक्ष रखेगा.
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1991 के मुख्य मुकदमे लार्ड आदि विशेश्वर में परिसर में शिवलिंग होने का दावा किया गया है. श्रृंगार गौरी मामले को लेकर परिसर का एएसआई सर्वे हो चुका है लेकिन वाद मित्र अभी इस सर्वे को अधूरा बता रहे हैं. उनके मुतबिक सर्वे में विधिवत मशीनों का प्रयोग नहीं किया गया है. खुदाई भी नहीं हुई है. जबकि यहां पर खुदाई के बाद अवशेषों की तलाश किया जाना आवश्यक है. इसके साथ ही परिसर का बड़ा क्षेत्र इस वैज्ञानिक सर्वे से अभी भी अछूता है. इसलिए वैज्ञानिक तकनीक से मशीनों और खुदाई के जरिए पूरी तरह से सर्वे होना जरूरी है. जिससे कि साक्ष्य जुटाए जा सकें.
31 अगस्त को हुई थी सुनावई
बता दें कि बीते 31 अगस्त को जिला एवं सत्र न्यायालय में श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के मुख्य केस समेत ज्ञानवापी से जुड़े 7 केस पर सुनवाई हुई थी. नए जिला जज के आने के बाद अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी थी. इसके लिए वकीलों ने पूरी तैयारी की थी. इसमें 5 महिला वादी ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवताओं की पूजा की मांग रखी थी. रेखा पाठक, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और सीता साहू की तरफ से जिला जज की अदालत में आवेदन देकर वर्ष 1991 के लॉर्ड विश्वेश्वर मूल वाद को स्थानान्तरित कर श्रृंगार गौरी मूल वाद के साथ न्यायहित में एक साथ सुनवाई किए जाने का आग्रह किया गया था.
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