विक्रम मिश्र, लखनऊ. बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2027 के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2027) की तैयारियां अभी से शुरू कर दी है. मायावती इसके लिए अल्पसंख्यक वोट बैंक को सहेजने के लिए मुस्लिमों को हिस्सेदारी देने की रणनीति बना रही है. जिससे कि पुराने कैडर के वोट बैंक के साथ अल्पसंख्यकों के सहारे 2027 के चुनावी बैतरणी में बसपा की नइया पार लगाई जा सके.
लखनऊ सेक्टर में इसके लिए तीन मंडलों लखनऊ, कानपुर और झांसी को रखा गया है. पहले लखनऊ के साथ प्रयागराज और मिर्जापुर मंडल को रखा गया था. नए सेक्टर में धनश्याम चंद्र खरवार, प्रवेश कुरील, समसुद्दीन राईन और अखिलेश अंबेडकर को रखा गया है. लखनऊ मंडल टीम-ए में मौजीलाल गौतम, अनुरेंद्र कुमार, संदीप कुमार रावत, दिनेश पाल को लगाया गया है. टीम-बी में राकेश गौतम, गंगाराम गौतम, श्याम किशोर अवस्थी को रखा गया है. समसुद्दीन राईन का मुख्य काम पार्टी के साथ मुस्लिम समुदाय को जोड़ना होगा.
इसी तरह प्रयागराज, मिर्जापुर व चित्रकूट मंडल को मिलाते हुए एक सेक्टर बनाया गया है. इसमें डॉ. विजय प्रताप, राजू गौतम, भीमराव अंबेडकर और अमरेंद्र बहादुर पासी को रखा गया है. इसके साथ ही बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल इस सेक्टर को योगदान देंगे. प्रयागराज मंडल में टीम-ए में आकाश राव गौतम, प्रेमचंद्र निर्मल, आकाश वर्मा और टीम-बी में रमेश पासी, अवधेश गौतम, राम नारायण को लगाया गया है. इसके साथ ही मोहम्मद अकरम को लगाया गया है. उनका काम पार्टी के साथ मुस्लिमों को जोड़ना होगा.
कभी बसपा में हुआ करते थे बड़े कद्दावर नेता
पश्चिमी यूपी के कादिर राणा, इमरान मसूद, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पूर्वांचल से अफजाल अंसारी, दानिश अली, शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली जैसे बड़े नेता बसपा में हुआ करते थे. इनका काम बसपा के साथ मुख्य रूप से मुस्लिम समाज को जोड़ना था. साथ ही उनके वोटबैंक को सेंधमारी होने से बचाने और बसपा को समर्थन देने के लिए भी होता था. लेकिन अब इसमें से सभी नेता या तो कांग्रेस या फिर समाजवादी पार्टी के बैनर तले आ चुके है.
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संगठन की मजबूती से वनवास होगा खत्म
बसपा सुप्रीमो लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद लगातार संगठन को मजबूत करने में जुटी हुई हैं. उनकी नजर जहां कोर वोट बैंक बचाए रखने की है, वहीं वह पार्टी के साथ मुस्लिमों को भी जोड़ना चाहती हैं. उनका मानना है कि मुस्लिमों की आधी हिस्सेदारी भी उनके साथ खड़ी हो गई तो उनकी नैया पार हो सकती है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद उन्होंने सेक्टर और मंडलीय कमेटियों में इसको ध्यान में रखते हुए भारी फेरबदल किया है. इसके साथ ही सेक्टर में मंडल का फेरदबल भी किया गया है.
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